'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- उदास, जिसका अर्थ है- जिसका चित्त किसी पदार्थ से दुखी होकर हट गया हो, विरक्त, दुखी, संजीदा। प्रस्तुत है भगवतीचरण वर्मा की कविता- दूर कहीं पर हास-विलास, दूर कहीं उत्सव-उल्लासआज शाम है बहुत उदास
केवल मैं हूँ अपने पास ।दूर कहीं पर हास-विलास
दूर कहीं उत्सव-उल्लास
दूर छिटक कर कहीं खो गया
मेरा चिर-संचित विश्वास ।कुछ भूला सा और भ्रमा सा
केवल मैं हूँ अपने पास
एक धुन्ध में कुछ सहमी सी
आज शाम है बहुत उदास ।एकाकीपन का एकान्त
कितना निष्प्रभ, कितना क्लान्त ।थकी-थकी सी मेरी साँसें
पवन घुटन से भरा अशान्त,
ऐसा लगता अवरोधों से
यह अस्तित्व स्वयं आक्रान्त ।अंधकार में खोया-खोया
एकाकीपन का एकान्त
मेरे आगे जो कुछ भी वह
कितना निष्प्रभ, कितना क्लान्त ।उतर रहा तम का अम्बार
आगे पढ़ें
मेरे मन में व्यथा अपार ।
4 hours ago